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पहला रात के अँधेरे में 
किसी सुनसान... बीहड़ में
चीते की फुर्ती से 
घात लगाकर आता है
हर आहट पर चौंकती है
पता नहीं, आज क्या हो? 
दुहाई काली माता... रक्षा करना। 
नहीं पहनती मँहगी साड़ियाँ, गहनें
औरतें बातें बनाएँगी...
शक बढ़ेगा। 
पल-पल घुल रही है चिन्ता में 
कि आज सकुशल लौटेगा
उसका सुहाग या फिर। 
उधर, दूसरा... 
दिन के उजाले में 
मेन-रोड पर
चाहो तो किसी को साथ ले लो
पाँच बजे गाड़ी भिजवा दूँगा
अभी चलता हूँ...
ड्यूटी का टाईम है॥
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