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"धूमिल की अन्तिम कविता / धूमिल" के अवतरणों में अंतर
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लोहे की आवाज़ है या | लोहे की आवाज़ है या | ||
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लोहे का स्वाद | लोहे का स्वाद | ||
लोहार से मत पूछो | लोहार से मत पूछो | ||
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जिसके मुंह में लगाम है। | जिसके मुंह में लगाम है। | ||
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08:55, 4 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण
शब्द किस तरह
कविता बनते हैं
इसे देखो
अक्षरों के बीच गिरे हुए
आदमी को पढ़ो
क्या तुमने सुना कि यह
लोहे की आवाज़ है या
मिट्टी में गिरे हुए ख़ून
का रंग।
लोहे का स्वाद
लोहार से मत पूछो
घोड़े से पूछो
जिसके मुंह में लगाम है।