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"यही बेहतर / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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इधर दो फूल मुँह से मुँह सटाए
 
इधर दो फूल मुँह से मुँह सटाए
 
 
बात करते हैं
 
बात करते हैं
 
 
यहीं से काट लो रस्ता
 
यहीं से काट लो रस्ता
 
 
यही बेहतर
 
यही बेहतर
 
  
 
हमें दिन इस तरह के
 
हमें दिन इस तरह के
 
 
रास आए नहीं ये दीगर
 
रास आए नहीं ये दीगर
 
 
तसल्ली है कहीं तो पल रहा है
 
तसल्ली है कहीं तो पल रहा है
 
 
प्यार धरती पर
 
प्यार धरती पर
 
 
उमर की आग की परचम उठाए  
 
उमर की आग की परचम उठाए  
 
 
बात करते हैं
 
बात करते हैं
 
 
यहीं से काट लो रस्ता  
 
यहीं से काट लो रस्ता  
 
 
यही बेहतर
 
यही बेहतर
 
  
 
खुले में यह खुलापन देखकर  
 
खुले में यह खुलापन देखकर  
 
 
जो चैन पाया है
 
जो चैन पाया है
 
 
कई कुर्बानियों का रंग
 
कई कुर्बानियों का रंग
 
 
रेशम में समाया है
 
रेशम में समाया है
 
 
हरे जल पर पड़े मस्तूल-साए
 
हरे जल पर पड़े मस्तूल-साए
 
 
बात करते हैं
 
बात करते हैं
 
 
यहीं से काट लो रस्ता
 
यहीं से काट लो रस्ता
 
 
यही बेहतर
 
यही बेहतर
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19:17, 19 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

इधर दो फूल मुँह से मुँह सटाए
बात करते हैं
यहीं से काट लो रस्ता
यही बेहतर

हमें दिन इस तरह के
रास आए नहीं ये दीगर
तसल्ली है कहीं तो पल रहा है
प्यार धरती पर
उमर की आग की परचम उठाए
बात करते हैं
यहीं से काट लो रस्ता
यही बेहतर

खुले में यह खुलापन देखकर
जो चैन पाया है
कई कुर्बानियों का रंग
रेशम में समाया है
हरे जल पर पड़े मस्तूल-साए
बात करते हैं
यहीं से काट लो रस्ता
यही बेहतर