भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हादसा / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=अमृता प्रीतम |संग्रह=चुनी हुई कवितायें / अमृत...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=चुनी हुई कवितायें / अमृता प्रीतम | |संग्रह=चुनी हुई कवितायें / अमृता प्रीतम | ||
}} | }} | ||
− | [[Category:पंजाबी]] | + | [[Category:पंजाबी भाषा]] |
<poem> | <poem> | ||
बरसों की आरी हंस रही थी | बरसों की आरी हंस रही थी |
16:16, 23 मई 2009 के समय का अवतरण
|
बरसों की आरी हंस रही थी
घटनाओं के दांत नुकीले थे
अकस्मात एक पाया टूट गया
आसमान की चौकी पर से
शीशे का सूरज फिसल गया
आंखों में ककड़ छितरा गये
और नजर जख्मी हो गयी
कुछ दिखायी नहीं देता
दुनिया शायद अब भी बसती है