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"खुशबू से जो नाता (माहिया) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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निर्मल तन दर्पन दूँ। | निर्मल तन दर्पन दूँ। | ||
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− | यह चन्दन सी काया | + | यह चन्दन- सी काया |
− | + | साँसें भी महकी | |
− | जब तुझको पाया। | + | जब तुझको था पाया। |
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अब तो तुम आ जाओ | अब तो तुम आ जाओ | ||
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दो पल तुमको देखा | दो पल तुमको देखा | ||
घोर घनी रजनी | घोर घनी रजनी | ||
− | चमकी | + | चमकी चपला रेखा। |
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नयनों में दर्द दिखा | नयनों में दर्द दिखा | ||
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प्यार किसे कहते | प्यार किसे कहते | ||
हरगिज़ ना जानेंगे | हरगिज़ ना जानेंगे | ||
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+ | बोझिल तेरे नैना | ||
+ | मैं जागूँ यूँ ही | ||
+ | बीतेगी ये रैना। | ||
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04:10, 21 मार्च 2021 के समय का अवतरण
87
तुमको मन आँगन दूँ
छोड़ नहीं जाना
निर्मल तन दर्पन दूँ।
88
यह चन्दन- सी काया
साँसें भी महकी
जब तुझको था पाया।
89
अब तो तुम आ जाओ
साँसें हैं व्याकुल
जीवन बन छा जाओ।
-0-
(27 जुलाई 20)
90
तुम हो खुशबू मन की
तुमसे जीवन है
साँसें तुम हो तन की।
91
कितना है दर्द सहा!
जीवन में तुमने
फिर भी तो उफ़ न कहा।
92
दो पल तुमको देखा
घोर घनी रजनी
चमकी चपला रेखा।
93
नयनों में दर्द दिखा
लब पर दर्द वही
आकर के आज टिका।
94
खुशबू से जो नाता
वह तुमको छूकर
मुझ तक फिर आता।
95
वे लोग न मानेंगे
प्यार किसे कहते
हरगिज़ ना जानेंगे
96
बोझिल तेरे नैना
मैं जागूँ यूँ ही
बीतेगी ये रैना।
-0-