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19:43, 4 जनवरी 2022 के समय का अवतरण
देवेश दीक्षित 'देव'
© कॉपीराइट: देवेश दीक्षित 'देव'। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग देवेश दीक्षित 'देव' की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 05 जनवरी 1983 |
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उपनाम | देव |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
देवेश दीक्षित 'देव' / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- मुसाफ़िर हूँ मग़र कोई सफ़र अच्छा नहीं लगता / देवेश दीक्षित 'देव'
- जन्म इंसां का मिला,इंसान बनकर देखिए / देवेश दीक्षित 'देव'
- राजनीति की इस मंडी में सारे झूठे रहते हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- जताने की ज़रूरत क्या, नज़ारे बोल देते हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- ज़िंदगी में ग़म उठाने का मज़ा कुछ और है / देवेश दीक्षित 'देव'
- हमारी ज़िंदगी में हर क़दम तूफ़ान आये हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- ये आँखें राह तकती हैं,तुम्हें ये मन बुलाता है / देवेश दीक्षित 'देव'
- जाने वाले दिल को क्या-क्या सौग़ातें दे जाते हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- हादसे उम्र-भर आज़माते रहे / देवेश दीक्षित 'देव'
- ज़माने में किसी से अब वफ़ाएँ कौन करता है / देवेश दीक्षित 'देव'
- ये आँसू रोक रक्खे हैं, बमुश्किल दिन गुज़ारे हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- क्या बताऊँ ज़िन्दगी में किस क़दर तन्हा रहा / देवेश दीक्षित 'देव'
- गिला शिकवा नहीं कोई महज़ इतना फ़साना है / देवेश दीक्षित 'देव'
- ज़ुबां पर बात आ जाए तो हम रोका नहीं करते / देवेश दीक्षित 'देव'
- तुम्हारे साथ जो गुज़रे ज़माने याद आते हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- कोई मंज़िल नहीं दिखती, सुकूँ का पल नहीं मिलता / देवेश दीक्षित 'देव'
- मुक्तक-1 / देवेश दीक्षित 'देव'
- मुक्तक-2 / देवेश दीक्षित 'देव'
- हर सफ़र अपना तन्हा रहा,हर कहानी अधूरी रही / देवेश दीक्षित 'देव'
- छुपे थे ऐब जो अन्दर,सभी बाहर निकल आये / देवेश दीक्षित 'देव'
- सदा हम जान से प्यारा ये हिन्दुस्ताँ समझते हैं / देवेश दीक्षित 'देव'
- ज़ालिम हैं हम ज़फाएँ उठाने के बावजूूद / देवेश दीक्षित 'देव'
- हमारी एक दिन हमको ख़ताएँ मार डालेंगी / देवेश दीक्षित 'देव'