"हाइकु / अनिता मंडा / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | स्वप्न में तुम। | ||
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+ | बगणा च बादळ | ||
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+ | लिखता चुप्पी | ||
+ | साँझ के होठों पर | ||
+ | चाँद का ताला। | ||
+ | लेखदु बौग | ||
+ | रुमुका ओंठु परैं | ||
+ | जून कु तालु | ||
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+ | विदा ही हो ली | ||
+ | सूने पनघटों से | ||
+ | हँसी-ठिठोली। | ||
+ | बिदा ही ह्वे गे | ||
+ | सुन्न पंद्यारौं बटी | ||
+ | हैंसी ठट्ठा बी | ||
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+ | सूनी शाखों पे | ||
+ | करते हस्ताक्षर | ||
+ | नव-पल्लव। | ||
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+ | सुन्न फाँगों माँ | ||
+ | लेखणा छन नौं यू | ||
+ | नयाँ क्वँपला | ||
+ | 5. | ||
+ | पीपल छाँव | ||
+ | थे कई जोड़ी पाँव | ||
+ | स्मृति में गाँव। | ||
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+ | पिफळ छैलू | ||
+ | छा कई जोड़ी खुट्टा | ||
+ | यादू माँ च गौं | ||
+ | 6. | ||
+ | उड़ी चिड़िया | ||
+ | नभ का खालीपन | ||
+ | पल में भरा। | ||
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+ | उड़ै प्वथली | ||
+ | रीतू आगास तैंन | ||
+ | पल माँ भौरी | ||
+ | 7. | ||
+ | दुख ने फिर | ||
+ | चिलम सुलगाई | ||
+ | साँझ बिताई। | ||
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+ | खौरी न फीर | ||
+ | चिल्लम सुलगैली | ||
+ | रुमुक बितै | ||
+ | 8. | ||
+ | तारे उतरे | ||
+ | रात की छाती पर | ||
+ | जुगनू जैसे। | ||
+ | |||
+ | उ गैंणा उत्र्याँ | ||
+ | रातै छत्ती माँ इन | ||
+ | जन जुगींण | ||
+ | 9. | ||
+ | किरण-जाल | ||
+ | लहरों पर डाला | ||
+ | फँसा सूरज। | ||
+ | |||
+ | किरणू-जाळ | ||
+ | लैहरू परैं डाळी | ||
+ | सुर्ज फँसी गि | ||
+ | 10. | ||
+ | कहता फूल- | ||
+ | "तितली धीरे से आ | ||
+ | चुभे न शूल।’' | ||
+ | |||
+ | बोलणु फूल | ||
+ | "प्वतळा मठु कै औ | ||
+ | चुबु न काँडू" | ||
+ | 11. | ||
+ | बाट जोहती | ||
+ | निर्जन पगडंडी | ||
+ | हुई उदास। | ||
+ | |||
+ | बाटू हेरणी | ||
+ | निर्मनखी बाठू | ||
+ | ह्वे गे उदास | ||
+ | 12. | ||
+ | प्यासी चिड़ी ने | ||
+ | भरी पानी से चोंच | ||
+ | हँस दी नदी | ||
+ | |||
+ | तीसी प्वथ्लिन | ||
+ | भौरी पाणीं चोंच माँ | ||
+ | हैंसी गंगाजी | ||
+ | -0- | ||
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14:18, 3 मई 2021 के समय का अवतरण
1.
सुप्त झील में
बह रहे बादल
स्वप्न में तुम।
सेंयाँ ताल माँ
बगणा च बादळ
स्वीणा माँ तुम
2.
लिखता चुप्पी
साँझ के होठों पर
चाँद का ताला।
लेखदु बौग
रुमुका ओंठु परैं
जून कु तालु
3.
विदा ही हो ली
सूने पनघटों से
हँसी-ठिठोली।
बिदा ही ह्वे गे
सुन्न पंद्यारौं बटी
हैंसी ठट्ठा बी
4.
सूनी शाखों पे
करते हस्ताक्षर
नव-पल्लव।
सुन्न फाँगों माँ
लेखणा छन नौं यू
नयाँ क्वँपला
5.
पीपल छाँव
थे कई जोड़ी पाँव
स्मृति में गाँव।
पिफळ छैलू
छा कई जोड़ी खुट्टा
यादू माँ च गौं
6.
उड़ी चिड़िया
नभ का खालीपन
पल में भरा।
उड़ै प्वथली
रीतू आगास तैंन
पल माँ भौरी
7.
दुख ने फिर
चिलम सुलगाई
साँझ बिताई।
खौरी न फीर
चिल्लम सुलगैली
रुमुक बितै
8.
तारे उतरे
रात की छाती पर
जुगनू जैसे।
उ गैंणा उत्र्याँ
रातै छत्ती माँ इन
जन जुगींण
9.
किरण-जाल
लहरों पर डाला
फँसा सूरज।
किरणू-जाळ
लैहरू परैं डाळी
सुर्ज फँसी गि
10.
कहता फूल-
"तितली धीरे से आ
चुभे न शूल।’'
बोलणु फूल
"प्वतळा मठु कै औ
चुबु न काँडू"
11.
बाट जोहती
निर्जन पगडंडी
हुई उदास।
बाटू हेरणी
निर्मनखी बाठू
ह्वे गे उदास
12.
प्यासी चिड़ी ने
भरी पानी से चोंच
हँस दी नदी
तीसी प्वथ्लिन
भौरी पाणीं चोंच माँ
हैंसी गंगाजी
-0-