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"हाइकु / प्रीति गोविन्दराज / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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धूप में खेलें
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सतरंगी रस्सी से
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वर्षा के बच्चे।
  
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झूमती जाएँ
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चले न सीधी राह
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वर्षा की बूँदें।
  
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श्रमिक पिता।
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साँवला रंग
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ताने सहती बेटी
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रचे रंगोली।
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बोलि सौंदि बेटुली
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कीमो बोतल
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कार्टून देख हँसा
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कैंसर हारा।
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कार्टून देख हैंसी
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कैंसर हारी
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बर्फ किताब पर
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लिखते बच्चे।
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खुट्टों-छापौंन
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ह्यूँ ई पोथी परैंईँ
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पेड़ लजाए
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नभ ने ताँक दिए
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सफेद फूल।
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डाळा सर्मेंन
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द्यौरा न टाँक्यल्यन
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हिलाए पूँछ
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हैरान पिल्ला सूँघ
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बर्फ से दोस्ती!
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हल्कौन्दू पूछ
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हैराँ कुकुर बच्चा
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सूंघी, ह्यूँ दग्ड़ू
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20:34, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1
धूप में खेलें
सतरंगी रस्सी से
वर्षा के बच्चे।

घाम माँ खेन्ना
सतरंगी जूड़ा न
बर्खा का बाळा
2
कालीन बिके
मुँह छिपाए बैठी
कुँए में काई।

दन्ना बिक्यन
मुक लुकैक बैठी
कुआँ-सिंवाळु
3
झूमती जाएँ
चले न सीधी राह
वर्षा की बूँदें।

झुमणी रौदीं
चल्वन न सिध्दि
बर्खै कि बुन्द
4
गगन सोचे
किस आशा से उड़
आया पतंग!

द्यौरु सोचदु
कैं आस न उड़िक
आई प्वतळु
5
पंछी घूमते
पासपोर्ट न वीज़ा
देश -विदेश

पग्छि घुमदा
पासपोर्ट न बीजा
देस-बिदेस
6
स्कूल बस्ते का
भार खूब जानता
श्रमिक पिता।

स्कूल बस्ता कु
भारू खूब जाणदु
बौल्या यु बुबा
7
साँवला रंग
ताने सहती बेटी
रचे रंगोली।

सौंळु च रंग
बोलि सौंदि बेटुली
रचु रंगोलि
8
कैसे उतरूँ
कोमल शिशु तन
सहमी सुई!

कनै उतरौं
कुंगळु बाळि काया
डौरी च सुई
9
कीमो बोतल
कार्टून देख हँसा
कैंसर हारा।

कीमो बोतळ
कार्टून देख हैंसी
कैंसर हारी
10
पद चिह्न से
बर्फ किताब पर
लिखते बच्चे।

खुट्टों-छापौंन
ह्यूँ ई पोथी परैंईँ
लेखदा बाळा
11
पेड़ लजाए
नभ ने ताँक दिए
सफेद फूल।

डाळा सर्मेंन
द्यौरा न टाँक्यल्यन
सपेद फूल
12
हिलाए पूँछ
हैरान पिल्ला सूँघ
बर्फ से दोस्ती!

हल्कौन्दू पूछ
हैराँ कुकुर बच्चा
सूंघी, ह्यूँ दग्ड़ू
-0-