"बन्दरगाह / बाद्लेयर / मदन पाल सिंह" के अवतरणों में अंतर
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− | '''Le port'''<ref>बन्दरगाह स्थानों को जोड़ने का साधन है तो विलग करने का | + | '''Le port'''<ref>बन्दरगाह स्थानों को जोड़ने का साधन है तो विलग करने का भी । यह पुल की ही तरह होता है । और बेशक यह मृत्यु का भी प्रतीक है, बल्कि कहना चाहिए कि उसका पर्याय है, जिससे होकर महान् यात्रा का पथ प्रशस्त होता है । मालार्मे की ही तरह यहाँ आकाश की असाध्यता भी है । लेकिन अन्ततः तमाम विभ्रम और दुखों के साथ आत्मा सौन्दर्य के मन्दिर की आराधिका है, जहाँ इसे कला के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है । बेल्जियम भ्रमण के दौरान लिखे गए इस गद्य गीत द्वारा, मदिरा और मादक द्रव्य से घिरे कवि की उस दौरान रही मानसिक स्थिति का भी परिचय होता है ।</ref> |
− | एक बन्दरगाह जीवन के संघर्ष में थकी हुई आत्मा के लिए एक आकर्षक प्रवास | + | एक बन्दरगाह जीवन के संघर्ष में थकी हुई आत्मा के लिए एक आकर्षक प्रवास है। आकाश का विस्तार, बादलों का बनता-बिगड़ता रूप यानी उनकी वास्तुकला, समुद्र के बदलते हुए रंग, प्रकाश-स्तम्भ की जगमगाहट — ये सब एक ऐसा अद्भुत बहुआयामी चमत्कार सृजित करते हैं, जो आँखों को कभी भी बिना थकाए आनन्द से भर देता है। जहाज़ों के पतले, सुघड़ आकार, उलझे हुए रस्से, पाल इत्यादि में महातरंग लयबद्ध दोलन कर अपनी छवि बिखेर रही है । और इनसे आत्मा में ताल और सौन्दर्य के आस्वाद को बनाए रखने की सेवा ली जा रही है । फिर, इन सबसे ऊपर, उन लोगों के लिए एक प्रकार का रहस्यमय और अभिजातपूर्ण सुख है, जिनके पास अब चिन्तन करने की कोई उत्सुकता या महत्त्वाकांक्षा नहीं है । वे इस दौरान जहाज़ की ऊँची चौकी से अनुवीक्षण करते हुए लेटे रहते हैं या तटबंध पर झुकने जैसे कितने ही कार्य करते रहते हैं । इस बीच नौकाएँ आती-जाती रहती हैं और इनमें से जो भी कोई इच्छाशक्ति रखता है, एक यात्रा की कामना या फिर अपने आप को इन दृश्यों से समृद्ध करता है, वह कला पथ पर अग्रसर है । |
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मदन पाल सिंह''' | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मदन पाल सिंह''' |
22:28, 18 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण
Le port<ref>बन्दरगाह स्थानों को जोड़ने का साधन है तो विलग करने का भी । यह पुल की ही तरह होता है । और बेशक यह मृत्यु का भी प्रतीक है, बल्कि कहना चाहिए कि उसका पर्याय है, जिससे होकर महान् यात्रा का पथ प्रशस्त होता है । मालार्मे की ही तरह यहाँ आकाश की असाध्यता भी है । लेकिन अन्ततः तमाम विभ्रम और दुखों के साथ आत्मा सौन्दर्य के मन्दिर की आराधिका है, जहाँ इसे कला के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है । बेल्जियम भ्रमण के दौरान लिखे गए इस गद्य गीत द्वारा, मदिरा और मादक द्रव्य से घिरे कवि की उस दौरान रही मानसिक स्थिति का भी परिचय होता है ।</ref>
एक बन्दरगाह जीवन के संघर्ष में थकी हुई आत्मा के लिए एक आकर्षक प्रवास है। आकाश का विस्तार, बादलों का बनता-बिगड़ता रूप यानी उनकी वास्तुकला, समुद्र के बदलते हुए रंग, प्रकाश-स्तम्भ की जगमगाहट — ये सब एक ऐसा अद्भुत बहुआयामी चमत्कार सृजित करते हैं, जो आँखों को कभी भी बिना थकाए आनन्द से भर देता है। जहाज़ों के पतले, सुघड़ आकार, उलझे हुए रस्से, पाल इत्यादि में महातरंग लयबद्ध दोलन कर अपनी छवि बिखेर रही है । और इनसे आत्मा में ताल और सौन्दर्य के आस्वाद को बनाए रखने की सेवा ली जा रही है । फिर, इन सबसे ऊपर, उन लोगों के लिए एक प्रकार का रहस्यमय और अभिजातपूर्ण सुख है, जिनके पास अब चिन्तन करने की कोई उत्सुकता या महत्त्वाकांक्षा नहीं है । वे इस दौरान जहाज़ की ऊँची चौकी से अनुवीक्षण करते हुए लेटे रहते हैं या तटबंध पर झुकने जैसे कितने ही कार्य करते रहते हैं । इस बीच नौकाएँ आती-जाती रहती हैं और इनमें से जो भी कोई इच्छाशक्ति रखता है, एक यात्रा की कामना या फिर अपने आप को इन दृश्यों से समृद्ध करता है, वह कला पथ पर अग्रसर है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मदन पाल सिंह
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