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"कविता रौ मूंन / चंद्रप्रकाश देवल" के अवतरणों में अंतर
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− | + | कोस सूं निकळ बूहौ जावै | |
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+ | जित्तै-जित्तै अेक जुद्ध | ||
+ | कमीज री बांह सूं निकळ | ||
+ | लड़-भिड़ घायल कर जावै | ||
− | + | म्हैं अरदास में माथौ निंवावूं | |
− | + | जित्तै-जित्तै अेक वरदान | |
− | + | भींत माथला देवां रौ पाठौ फड़फड़ाय | |
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+ | म्हैं हेलौ पाड़ण थावस उचारूं | ||
+ | जित्तै-जित्तै इण सबद सूं निकळ | ||
+ | अेक अरथ बेगौसीक | ||
+ | म्हनै अणूंतौ डिगपच कर जावै | ||
+ | सेवट कविता नै सिंवरण री मन में जचावूं | ||
+ | जित्तै-जित्तै वौ जिकौ उणरौ मूंन व्है | ||
+ | भक्क देणी रो चवड़ै व्है जावै। | ||
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13:51, 17 जुलाई 2022 के समय का अवतरण
म्हैं पलकां बिछावूं
जित्तै-जित्तै औ मुहावरौ
कोस सूं निकळ बूहौ जावै
म्हैं सांयत गुणमुणावूं
जित्तै-जित्तै अेक जुद्ध
कमीज री बांह सूं निकळ
लड़-भिड़ घायल कर जावै
म्हैं अरदास में माथौ निंवावूं
जित्तै-जित्तै अेक वरदान
भींत माथला देवां रौ पाठौ फड़फड़ाय
म्हैं हेलौ पाड़ण थावस उचारूं
जित्तै-जित्तै इण सबद सूं निकळ
अेक अरथ बेगौसीक
म्हनै अणूंतौ डिगपच कर जावै
सेवट कविता नै सिंवरण री मन में जचावूं
जित्तै-जित्तै वौ जिकौ उणरौ मूंन व्है
भक्क देणी रो चवड़ै व्है जावै।