Last modified on 9 अगस्त 2012, at 15:38

"याद / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=अज्ञेय
 
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=
+
|संग्रह=सागर-मुद्रा / अज्ञेय
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
: याद : सिहरन : उड़ती सारसों की जोड़ी
 
: याद : सिहरन : उड़ती सारसों की जोड़ी
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
चाहे तड़पा गई।
 
चाहे तड़पा गई।
  
 +
'''काबूकी प्रेक्षागृह में (सैन फ्रांसिस्को), 21 मार्च, 1969'''
 
</poem>
 
</poem>

15:38, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

याद : सिहरन : उड़ती सारसों की जोड़ी
याद : उमस : एकाएक घिरे बादल में
कौंध जगमगा गई।
सारसों की ओट बादल
बादलों में सारसों की जोड़ी ओझल,
याद की ओट याद की ओट याद।
केवल नभ की गहराई बढ़ गई थोड़ी।
कैसे कहूँ की किसकी याद आई?
चाहे तड़पा गई।

काबूकी प्रेक्षागृह में (सैन फ्रांसिस्को), 21 मार्च, 1969