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"नन्दा देवी-9 / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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: कितनी जल्दी
 
: कितनी जल्दी
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धुन्ध की झीनी यवनिका।
 
धुन्ध की झीनी यवनिका।
  
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'''बिनसर, नवम्बर, 1972'''
 
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17:22, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

कितनी जल्दी
तुम उझकीं
झिझकीं
ओट हो गईं, नन्दा !
उतने ही में बीन ले गईं
धूप-कुन्दन की
अन्तिम कनिका
देवदारु के तनों के बीच
फिर तन गई
धुन्ध की झीनी यवनिका।

बिनसर, नवम्बर, 1972