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"बेचारा जल्लाद! / जय गोस्वामी" के अवतरणों में अंतर
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दरअसल, जल्लाद का कोई क़सूर नहीं है, | दरअसल, जल्लाद का कोई क़सूर नहीं है, |
20:42, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
दरअसल, जल्लाद का कोई क़सूर नहीं है,
रस्से पर मोम लीपना, उसका काम है।
रस्सा गले में पहना कर, कस देना ही उसका काम !
सिर, चेहरा, आँखों को ढँके हुए नकाब,
उसे गले तक खींच देना भी, उसी का काम!
जल्लाद से रोज़ ही होती है भेंट, एक ही जेल में,
हँसकर करता हूँ नमस्कार उसे,
पाँव तले बिछा है पाटा,
जानता हूँ, हैंडल खींचकर,
वह हटा सकता है, किसी भी पल !
लेकिन, इसके लिए मैं उसे क्यों दोष दूँ?
मुझे ग़ायब करने के लिए,
राष्ट्र ने ही उसे दी है सुपारी !
अगर वह मुझे मारने में नाकाम रहा,
अपनी नौकरी भला कैसे बचा पाएगा,
बेचारा जल्लाद?
बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता