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"लौटते कभी नहीं / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु" के अवतरणों में अंतर
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05:30, 20 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण
लौटते कभी नहीं
आँसू में गाए दिन
ओस में नहाए दिन ।
सुधियों कि गोद में
रात-रात जागकर
भारी पलकों में सजे
उलझी अलकों में सजे
बीते जो तुम्हारे बिन
लौटते नहीं कभी ।
पहुँच किसी मोड़ पर
रिश्ते सभी छोड़कर
फिर दूर तक निहारते
उस प्यार को पुकारते
फिसले हाथ से जो छिन
लौटते कभी नहीं ।
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