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|विविध=किम ची-हा की मुक्तछन्द कविताएँ कोरिया में लोकगीतों की तरह गाई जाती हैं। उनमें जो तीखा व्यंग्य है, उसपर कोरियाई जनता फ़िदा है। उनकी गीति रचना ’चान इर ताम’ विशेष रूप से लोकप्रिय है। रचना का नायक, जिसका पिता नीच कौम का है और माँ  वेश्या है, जेल से भाग जाता है (जहाँ वह चोरी करने के अपराध में बन्द है। नायक अपने एक नए धर्म की स्थापना करता है, जिसके अनुसार पैरों के तलुवे के नीचे रसातल में ही स्वर्ग होता है, जो देवताओं का निवासस्थल है।  समाज के उपेक्षित लोगों के बीच वह अपने नए धर्म का प्रचार-प्रसार करता है और ’बुराई और अपकार के महल’ सिओल पर अपने धर्मावलम्बियों के साथ चढ़ाई करता है। लेकिन सिओल के शासकों के साथ हुई लड़ाई में ये उपेक्षित लोग हार जाते हैं। चान इर ताम को सिर क़लम करने की सज़ा दी जाती है। सिओल के सैन्यवादी शासक देश में लागू सख़्त कानूनों को और ज़्यादा सख़्त कर देते हैं। अपने वधस्थल की ओर जाते हुए चान ’चावल का गीत’ गाता है। सिर कटने के तीन दिन बाद सिर में फिर से जान आ जाती है और वह चान के शरीर से जुड़ जाता है और पूरे कोरिया में उसका ’चावल का गीत’ गूँजने लगता है। किम ची-हा ने अपनी रचनाओं में जिन भयावह परिस्थितियों और निराशा का चित्रण किया है, उनके माध्यम से कवि उन अमानवीय परिस्थितियों को उभारता है, जिनमें जीवन गुज़ारने को कोरिया की जनता बाध्य है। इस तरह  रचना का नायक चान कोरियाई जनता के पुनरुत्थान की इच्छा व्यक्त करता है।   
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|विविध=किम ची-हा की मुक्तछन्द कविताएँ कोरिया में लोकगीतों की तरह गाई जाती हैं। उनमें जो तीखा व्यंग्य है, उसपर कोरियाई जनता फ़िदा है। उनकी गीति रचना ’चान इर ताम’ विशेष रूप से लोकप्रिय है। रचना का नायक, जिसका पिता नीच कौम का है और माँ  वेश्या है, जेल से भाग जाता है, जहाँ वह चोरी करने के अपराध में बन्द था। नायक अपने एक नए धर्म की स्थापना करता है, जिसके अनुसार पैरों के तलुवे के नीचे रसातल में ही स्वर्ग है, जो देवताओं का निवासस्थल है।  समाज के उपेक्षित लोगों के बीच वह अपने नए धर्म का प्रचार-प्रसार करता है और ’बदी के पिटारे’ सिओल पर अपने धर्मावलम्बियों के साथ चढ़ाई करता है। लेकिन सिओल के शासकों के साथ हुई लड़ाई में ये उपेक्षित लोग हार जाते हैं। चान इर ताम को उसका सिर क़लम करने की सज़ा दी जाती है। सिओल के सैन्यवादी शासक देश में लागू सख़्त कानूनों को और ज़्यादा सख़्त कर देते हैं। अपने वधस्थल की ओर जाते हुए चान ’चावल का गीत’ गाता है। सिर कटने के तीन दिन बाद सिर में फिर से जान आ जाती है और वह चान के शरीर से जुड़ जाता है और पूरे कोरिया में उसका ’चावल का गीत’ गूँजने लगता है। किम ची-हा ने अपनी रचनाओं में जिन भयावह परिस्थितियों और निराशा का चित्रण किया है, उनके माध्यम से कवि उन अमानवीय परिस्थितियों को उभारता है, जिनमें जीवन गुज़ारने को कोरिया की जनता बाध्य है। इस तरह  रचना का नायक चान कोरियाई जनता के पुनरुत्थान की इच्छा व्यक्त करता है।   
 
|जीवनी=[[किम ची-हा / परिचय]]
 
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
 
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* [[प्यास जो बुझी नहीं / किम ची-हा / अनिल जनविजय]]
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* [[रात के दो बजे / किम ची-हा / अनिल जनविजय]]
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* [[नीले आसमान में सफ़ेद बादल / किम ची-हा / अनिल जनविजय]]
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* [[समुद्र / किम ची-हा / अनिल जनविजय]]
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* [[कुआँ / किम ची-हा / अनिल जनविजय]]

09:43, 28 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

किम ची-हा
Kim Chi-ha.jpg
जन्म 04 फ़रवरी 1941
निधन 08 मई 2022
उपनाम किम योन इल 김지하?, 金芝河 김영일?, 金英
जन्म स्थान मोकफो, चोल्ला- नामदो, कोरिया
कुछ प्रमुख कृतियाँ
सोन मांग दोंग पहाड़ी पर बर्फ़, पाँच डाकू, चान इर ताम, जनता का रुदन और अन्य कविताएँ (1974), अन्धेरे की कविताएँ (1975), यातना मार्ग (1976), चोनजिप (सम्पूर्ण कविताएँ)
विविध
किम ची-हा की मुक्तछन्द कविताएँ कोरिया में लोकगीतों की तरह गाई जाती हैं। उनमें जो तीखा व्यंग्य है, उसपर कोरियाई जनता फ़िदा है। उनकी गीति रचना ’चान इर ताम’ विशेष रूप से लोकप्रिय है। रचना का नायक, जिसका पिता नीच कौम का है और माँ वेश्या है, जेल से भाग जाता है, जहाँ वह चोरी करने के अपराध में बन्द था। नायक अपने एक नए धर्म की स्थापना करता है, जिसके अनुसार पैरों के तलुवे के नीचे रसातल में ही स्वर्ग है, जो देवताओं का निवासस्थल है। समाज के उपेक्षित लोगों के बीच वह अपने नए धर्म का प्रचार-प्रसार करता है और ’बदी के पिटारे’ सिओल पर अपने धर्मावलम्बियों के साथ चढ़ाई करता है। लेकिन सिओल के शासकों के साथ हुई लड़ाई में ये उपेक्षित लोग हार जाते हैं। चान इर ताम को उसका सिर क़लम करने की सज़ा दी जाती है। सिओल के सैन्यवादी शासक देश में लागू सख़्त कानूनों को और ज़्यादा सख़्त कर देते हैं। अपने वधस्थल की ओर जाते हुए चान ’चावल का गीत’ गाता है। सिर कटने के तीन दिन बाद सिर में फिर से जान आ जाती है और वह चान के शरीर से जुड़ जाता है और पूरे कोरिया में उसका ’चावल का गीत’ गूँजने लगता है। किम ची-हा ने अपनी रचनाओं में जिन भयावह परिस्थितियों और निराशा का चित्रण किया है, उनके माध्यम से कवि उन अमानवीय परिस्थितियों को उभारता है, जिनमें जीवन गुज़ारने को कोरिया की जनता बाध्य है। इस तरह रचना का नायक चान कोरियाई जनता के पुनरुत्थान की इच्छा व्यक्त करता है।
जीवन परिचय
किम ची-हा / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/

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