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"मैंने उम्र गुज़ार दी.. / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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'''पाली अनुवाद:अहमायू अतीता'''  
 
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'''रचनाकार :डॉ॰ कविता भट्ट: शैलपुत्रीय:'''
 
'''रचनाकार :डॉ॰ कविता भट्ट: शैलपुत्रीय:'''
अनुवादक:राम प्रताप सिंह'''
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'''अनुवादक:राम प्रताप सिंह'''
  
  
 
अतिस्सरलमासीच्च  
 
अतिस्सरलमासीच्च  
 
नग्गफनीयम वरधियम  
 
नग्गफनीयम वरधियम  
परमहम वरधितुम नासक्कम  
+
परमहम वरधितुम नासक्कम
परिसमस्स कारमासीच्च पुप्फवरुधम।  
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परिसमस्स कारमासीच्च,
किञ्करन्नानि परम
+
पुप्फवरुधम।  
 +
किञ्करन्नानि परम?
 
मम पुप्फपीती इतासीच्च यद  
 
मम पुप्फपीती इतासीच्च यद  
हिरिद्दीभूमीसिच्चने अहमायू अतीता ।
+
हिरिद्दीभूमीसिच्चने  
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अहमायू अतीता ।
 
मितानी पुप्फानी रदनञ्किता  
 
मितानी पुप्फानी रदनञ्किता  
 
ये अत्तमीसम कथयनुद्दानपालक इति कथयन्ती ।
 
ये अत्तमीसम कथयनुद्दानपालक इति कथयन्ती ।

10:00, 23 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

बिल्कुल आसान था
नागफनी उगाना
मगर मैं न उगा सकी।
मेहनत का काम था;
फूल उगाना
मगर क्या करूँ ?
मुझे फूलों से प्यार इस क़दर था
कि दिल की ज़मीं सींचने में
मैंने उम्र गुज़ार दी।
मुस्काते फूलों को रौंदकर
वे ख़ुद को बागवान कहते रहे।
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पाली अनुवाद:अहमायू अतीता
रचनाकार :डॉ॰ कविता भट्ट: शैलपुत्रीय:
अनुवादक:राम प्रताप सिंह


अतिस्सरलमासीच्च
नग्गफनीयम वरधियम
परमहम वरधितुम नासक्कम ।
परिसमस्स कारमासीच्च,
पुप्फवरुधम।
किञ्करन्नानि परम?
मम पुप्फपीती इतासीच्च यद
हिरिद्दीभूमीसिच्चने
अहमायू अतीता ।
मितानी पुप्फानी रदनञ्किता
ये अत्तमीसम कथयनुद्दानपालक इति कथयन्ती ।

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