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− | |विविध= रूसी कवि इओसिफ़ ब्रोदस्की के प्रिय कवि थे अनतोनिओ मचादो। ब्रोदस्की ने इन्हें स्पानी भाषा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना है। इनकी सम्पूर्ण कविताओं का संग्रह सिर्फ़ 500 पृष्ठों का है, जिसके साथ 300 पृष्ठों में इन कविताओं के बारे में पाद-टिप्पणियाँ हैं। | + | |विविध= रूसी कवि इओसिफ़ ब्रोदस्की के प्रिय कवि थे अनतोनिओ मचादो। ब्रोदस्की ने इन्हें स्पानी भाषा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना है। इनकी सम्पूर्ण कविताओं का संग्रह सिर्फ़ 500 पृष्ठों का है, जिसके साथ 300 पृष्ठों में इन कविताओं के बारे में पाद-टिप्पणियाँ हैं। मचादो का मानना था कि कवि भी अपने समय के यथार्थ से प्रभावित होता है, लेकिन कवि एक विशेष उद्देश्य के लिए लिखता है, इसलिए उसे वो अभिव्यक्त करना चाहिए, जिसे अभिव्यक्त करना सम्भव नहीं है और उसे वे बातें कहनी चाहिए, जो अकथनीय हैं। कवि के रूप में यह उनका अपना यही निजी दर्शन था। इसीलिए मचादो की कविताओं में कहीं भी अमूर्त प्रतीक नहीं मिलते। मचादो उन्हीं प्रतीकों का अपनी कविता में इस्तेमाल करते हैं, जो वास्तविक हैं और जिन्हें कवि ने ख़ुद अनुभव किया है। इसीलिए उनकी कविता में भू-दृश्यों की भरमार है। उनकी कविता में व्यक्त मार्ग ’मनुष्य की राहे’ हैं, कविता में व्यक्त नदियाँ ’समय का प्रवाह’ हैं, समुद्र अस्तित्त्व के रहस्य का प्रतीक है और कविता में मृत्यु एक ऐसा रहस्य है, जिसकी आज तक किसी भी चीज़ से तुलना करना असम्भव है। कवि इन सभी अवधारणाओं को मिथकीय स्तर से अपनी कविता में एक सामान्य स्तर तक ले आता है। उनका कहना था — मेरे गीतों में मनुष्य जीवन का सार और उसका पूरा अस्तित्त्व अभिव्यक्त होता है। |
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अनतोनिओ मचादो
जन्म | 26 जुलाई 1875 |
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निधन | 22 फ़रवरी 1939 |
उपनाम | Antonio Cipriano José María Machado Ruiz |
जन्म स्थान | सेविलिया, स्पेन |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
अकेलापन, गैलरी और अन्य कविताएँ (1907), कस्तिले के मैदान (1912), नए गीत (1924), अबेल मार्तीन के धार्मिक गीत। | |
विविध | |
रूसी कवि इओसिफ़ ब्रोदस्की के प्रिय कवि थे अनतोनिओ मचादो। ब्रोदस्की ने इन्हें स्पानी भाषा का सर्वश्रेष्ठ कवि माना है। इनकी सम्पूर्ण कविताओं का संग्रह सिर्फ़ 500 पृष्ठों का है, जिसके साथ 300 पृष्ठों में इन कविताओं के बारे में पाद-टिप्पणियाँ हैं। मचादो का मानना था कि कवि भी अपने समय के यथार्थ से प्रभावित होता है, लेकिन कवि एक विशेष उद्देश्य के लिए लिखता है, इसलिए उसे वो अभिव्यक्त करना चाहिए, जिसे अभिव्यक्त करना सम्भव नहीं है और उसे वे बातें कहनी चाहिए, जो अकथनीय हैं। कवि के रूप में यह उनका अपना यही निजी दर्शन था। इसीलिए मचादो की कविताओं में कहीं भी अमूर्त प्रतीक नहीं मिलते। मचादो उन्हीं प्रतीकों का अपनी कविता में इस्तेमाल करते हैं, जो वास्तविक हैं और जिन्हें कवि ने ख़ुद अनुभव किया है। इसीलिए उनकी कविता में भू-दृश्यों की भरमार है। उनकी कविता में व्यक्त मार्ग ’मनुष्य की राहे’ हैं, कविता में व्यक्त नदियाँ ’समय का प्रवाह’ हैं, समुद्र अस्तित्त्व के रहस्य का प्रतीक है और कविता में मृत्यु एक ऐसा रहस्य है, जिसकी आज तक किसी भी चीज़ से तुलना करना असम्भव है। कवि इन सभी अवधारणाओं को मिथकीय स्तर से अपनी कविता में एक सामान्य स्तर तक ले आता है। उनका कहना था — मेरे गीतों में मनुष्य जीवन का सार और उसका पूरा अस्तित्त्व अभिव्यक्त होता है। | |
जीवन परिचय | |
अनतोनिओ मचादो / परिचय |