"आदत, खराब है / मुकुट बिहारी सरोज" के अवतरणों में अंतर
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− | मेरी | + | मेरी कुछ आदत ख़राब है |
− | कोई दूरी | + | कोई दूरी मुझसे नहीं सही जाती है, |
मुँह देखे की मुझसे नहीं कही जाती है | मुँह देखे की मुझसे नहीं कही जाती है | ||
− | मैं कैसे उनसे | + | मैं कैसे उनसे प्रणाम के रिश्ते जोडूँ — |
जिनकी नाव पराए घाट बही जाती है । | जिनकी नाव पराए घाट बही जाती है । | ||
मैं तो ख़ूब खुलासा रहने का आदी हूँ | मैं तो ख़ूब खुलासा रहने का आदी हूँ | ||
− | उनकी बात अलग, जिनके मुँह पर | + | उनकी बात अलग, जिनके मुँह पर नक़ाब है । |
है मुझको मालूम, हवाएँ ठीक नहीं हैं | है मुझको मालूम, हवाएँ ठीक नहीं हैं | ||
क्योंकि दर्द के लिए दवाएँ ठीक नहीं हैं | क्योंकि दर्द के लिए दवाएँ ठीक नहीं हैं | ||
− | लगातार आचरण | + | लगातार आचरण ग़लत होते जाते हैं — |
− | शायद युग की | + | शायद युग की नई ऋचाएँ ठीक नहीं हैं । |
जिसका आमुख ही क्षेपक की पैदाइश हो | जिसका आमुख ही क्षेपक की पैदाइश हो | ||
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वैसे, जो सबके उसूल, मेरे उसूल हैं | वैसे, जो सबके उसूल, मेरे उसूल हैं | ||
लेकिन ऐसे नहीं कि जो बिल्कुल फिजूल हैं | लेकिन ऐसे नहीं कि जो बिल्कुल फिजूल हैं | ||
− | तय है ऐसी हालत में | + | तय है ऐसी हालत में कुछ घाटे होंगे — |
लेकिन ऐसे सब घाटे मुझको क़बूल हैं । | लेकिन ऐसे सब घाटे मुझको क़बूल हैं । | ||
15:34, 29 अगस्त 2023 के समय का अवतरण
मेरी कुछ आदत ख़राब है
कोई दूरी मुझसे नहीं सही जाती है,
मुँह देखे की मुझसे नहीं कही जाती है
मैं कैसे उनसे प्रणाम के रिश्ते जोडूँ —
जिनकी नाव पराए घाट बही जाती है ।
मैं तो ख़ूब खुलासा रहने का आदी हूँ
उनकी बात अलग, जिनके मुँह पर नक़ाब है ।
है मुझको मालूम, हवाएँ ठीक नहीं हैं
क्योंकि दर्द के लिए दवाएँ ठीक नहीं हैं
लगातार आचरण ग़लत होते जाते हैं —
शायद युग की नई ऋचाएँ ठीक नहीं हैं ।
जिसका आमुख ही क्षेपक की पैदाइश हो
वह क़िताब भी क्या कोई अच्छी क़िताब है ।
वैसे, जो सबके उसूल, मेरे उसूल हैं
लेकिन ऐसे नहीं कि जो बिल्कुल फिजूल हैं
तय है ऐसी हालत में कुछ घाटे होंगे —
लेकिन ऐसे सब घाटे मुझको क़बूल हैं ।
मैं ऐसे लोगों का साथ न दे पाऊँगा
जिनके खाते अलग, अलग जिनका हिसाब है ।
’किनारे के पेड़’ नामक काव्य-संग्रह से