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क्या तुम हो एकाकी / गुन्नार एकिलोफ़
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|संग्रह=मुश्किल से खुली एक खिड़की / गुन्नार एकिलोफ़
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<Poem>
क्या तुम हो एकाकी
हो जाओ
तुम्हे मिलेगी बहुत बड़ी रेलगाड़ी
आख़िर में ।
तुम्हें मिलेगी
बहुत बड़ी रेलगाड़ी
आख़िर में ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना'''
</poem>
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