Changes

|संग्रह=मुश्किल से खुली एक खिड़की / गुन्नार एकिलोफ़
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
क्या तुम हो एकाकी 
हो जाओ
तुम्हे मिलेगी बहुत बड़ी रेलगाड़ी
आख़िर में ।
तुम्हें मिलेगी
बहुत बड़ी रेलगाड़ी
 
आख़िर में ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधीर सक्सेना'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,675
edits