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"अपनी अलग चिन्हारी रख / बसंत देशमुख" के अवतरणों में अंतर

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अब नही उनसे यारी रख<br />
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अपनी लडाई जारी रख<br />
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|रचनाकार=बसंत देशमुख
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भूख गरीबी के मसले पे<br />
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अब इक पत्थर भारी रख<br />
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कवि मंचों पर बने विदूषक<br />
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अब नही उनसे यारी रख
उनके नाम मदारी रख<br />
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अपनी लडाई जारी रख
  
भीड़ भाड़ में खो मत जाना<br />
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भूख ग़रीबी के मसले पे
अपनी अलग चिन्हारी रख <br />
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अब इक पत्थर भारी रख
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कवि मंचों पर बने विदूषक
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उनके नाम मदारी रख
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भीड़-भाड़ में खो मत जाना
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अपनी अलग चिन्हारी रख  
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19:57, 20 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण


अब नही उनसे यारी रख
अपनी लडाई जारी रख

भूख ग़रीबी के मसले पे
अब इक पत्थर भारी रख

कवि मंचों पर बने विदूषक
उनके नाम मदारी रख

भीड़-भाड़ में खो मत जाना
अपनी अलग चिन्हारी रख