अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKParichay |चित्र= |नाम=येगिशे चारेन्त्स |उपनाम=Егише́ Ч...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (→कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKParichay | {{KKParichay | ||
− | |चित्र= | + | |चित्र=Egishe Charents.jpg |
|नाम=येगिशे चारेन्त्स | |नाम=येगिशे चारेन्त्स | ||
|उपनाम=Егише́ Чаре́нц (Եղիշե Չարենց) | |उपनाम=Егише́ Чаре́нц (Եղիշե Չարենց) | ||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
|जीवनी=[[येगिशे चारेन्त्स / परिचय]] | |जीवनी=[[येगिशे चारेन्त्स / परिचय]] | ||
− | |अंग्रेज़ीनाम= | + | |अंग्रेज़ीनाम=Yegishe Charents |
|shorturl= | |shorturl= | ||
|gadyakosh= | |gadyakosh= | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
}} | }} | ||
====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ==== | ====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ==== | ||
− | * [[ / येगिशे चारेन्त्स / अनिल जनविजय]] | + | * [[मेरे मन में / येगिशे चारेन्त्स / अनिल जनविजय]] |
+ | * [[आँख उठाकर देखो / येगिशे चारेन्त्स / अनिल जनविजय]] | ||
+ | * [[लाल घोड़े / येगिशे चारेन्त्स / अनिल जनविजय]] | ||
+ | * [[मुझे प्रेम है / येगिशे चारेन्त्स / अनिल जनविजय]] |
07:05, 27 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण
येगिशे चारेन्त्स

जन्म | 25 मार्च 1897 |
---|---|
निधन | 27 नवम्बर 1937 |
उपनाम | Егише́ Чаре́нц (Եղիշե Չարենց) |
जन्म स्थान | कार्स (तब रूस में था), तुर्की |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
उदास ग़रीब लड़की के तीन गीत (1914), ये धरती आग का गोला (1916), मौत का मंज़र (1916), इन्द्रधनुष (1917), सोमरस (लम्बी कविता,1918), छिछोरी मनचली (1920) आदि कुल तीस से ज़्यादा कविता-संग्रह। | |
विविध | |
आरमेनिया के महान कवियों में से एक येगिशे चारेन्त्स प्रतिष्ठित लेखक और अनुवादक भी थे। इन्होंने आरमेनियाई जीवन के यथार्थ को सबसे पहले अपनी रचनाओं में व्यक्त किया। इनके माता-पिता ईरान के माकू शहर के रहनेवाले थे, जो अपने शहर को छोड़कर कार्स शहर में आकर जीवनयापन कर रहे थे।आरमेनिया में इन्हें ’आरमेनिया साहित्य का देवदूत’ कहा जाता है। पन्द्रह वर्ष की उम्र में पहली बार कविताओं का प्रकाशन। सत्रह बरस की उम्र में पहला कविता-संग्रह, जिसका नाम था — उदास ग़रीब लड़की के तीन गीत। पहले विश्वयुद्ध में रूसी सेना में शामिल होकर कोहेकाफ़ के मोर्चे पर लड़े और जीत दर्ज कराते हुए वियेना तक पहुँचे। 1916 में तीन कविता-संग्रह एक साथ प्रकाशित हुए। | |
जीवन परिचय | |
येगिशे चारेन्त्स / परिचय |