भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शायद / रश्मि प्रभा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रश्मि प्रभा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (Lalit Kumar ने शायद रश्मि प्रभा पृष्ठ शायद / रश्मि प्रभा पर स्थानांतरित किया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:41, 18 अगस्त 2025 के समय का अवतरण
आज भीड़ है
सब तुम्हें देखना चाह रहे हैं
तुम्हारा नाम पुकार रहे हैं
बहुत मुश्किल से तुम आगे जा पा रहे हो!!!...
कल ख़ामोशी होगी
दूर दूर तक
तुम्हें कोई आवाज़ सुनाई नहीं देगी
अजनबी निगाहों की छुवन में
तुम यह आज ढूंढोगे!!!
आज सहजता से,
विनम्रता से,
अपनत्व के साथ इनको छू लो,
शायद कल कोई तुम्हें पहचान ले ।