अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरिराज किराडू |संग्रह= }} <Poem> बोल लेने के बाद दम स...) |
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मैं दम साधे ही खड़ा रहा | मैं दम साधे ही खड़ा रहा | ||
कोई आवाज़ न हुई | कोई आवाज़ न हुई |
11:06, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
बोल लेने के बाद
दम साधे इन्तज़ार कर रहा था
कि जिन शब्दों से बनी थी यह आवाज़
जब गिरेंगे वे शब्द पृथ्वी पर
तो कुछ तो आवाज़ होगी
मैं दम साधे ही खड़ा रहा
कोई आवाज़ न हुई
वहम हुआ कुछ देर के लिए हवा में ठहर गए हैं वे
या उन्हीं ने मिलकर बना ली है ख़ामोशी
या साइलेन्सर लगे रिवाल्वर से किसी ने शूट कर दिया है उन्हें