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"हीरो / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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सिर से कंधों तक ढँके हुए
 
सिर से कंधों तक ढँके हुए
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उनके चेहरे नहीं थे।
 
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17:11, 9 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

सिर से कंधों तक ढँके हुए
वे कहते रहे
कि पीठ नहीं दिखाएंगे--
और हम उन्हें सराहते रहे।

पर जब गिरने पर
उनके नकाब उल्टे तो
उनके चेहरे नहीं थे।