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"हाशिया / अचल वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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हाशिया छूट गया है
 
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इन दिनों ढिठाई पर उतारू है
 
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मैंने पहली बार देखा
 
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हाशिया कोरा है, सपाट है
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वह सार्थक रचनाएँ
 
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कूड़े के भाव बेच देता है
 
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कुशल गोताखोर सा
 
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समुद्र में गहरे पैठता है
 
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रस्सियाँ हिलाता है
 
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मैं उसे खींचना चाहता हूँ
 
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वह अतल से मोती ला रहा है
 
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सबसे चमकदार मोती
 
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मैं उसे तुम्हीं को सौंपना चाहता हूँ
 
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23:56, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

लिखते हुए पृष्ठ पर
हाशिया छूट गया है

इन दिनों ढिठाई पर उतारू है
मैंने पहली बार देखा
हाशिया कोरा है, सपाट है
किन्तु बेहद झगड़ालू है

वह सार्थक रचनाएँ
कूड़े के भाव बेच देता है
कुशल गोताखोर सा
समुद्र में गहरे पैठता है
रस्सियाँ हिलाता है

मैं उसे खींचना चाहता हूँ
वह अतल से मोती ला रहा है
सबसे चमकदार मोती
मैं उसे तुम्हीं को सौंपना चाहता हूँ