भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"डरपत मन मोरा / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=सुधीर सक्सेना | |रचनाकार=सुधीर सक्सेना | ||
− | }} | + | |संग्रह=रात जब चन्द्रमा बजाता है बाँसुरी / सुधीर सक्सेना |
+ | }} | ||
<Poem> | <Poem> | ||
− | सुनो, | + | सुनो, |
+ | राम जी ! | ||
आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ, | आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ, | ||
− | कड़कती हैं | + | कड़कती हैं बिजलियाँ |
मेरा भी मन डरता है | मेरा भी मन डरता है | ||
ठीक तुम्हारी तरह | ठीक तुम्हारी तरह | ||
− | प्रिया से दूर | + | प्रिया से दूर हूँ मैं |
− | इंद्रप्रस्थ में एकाकी | + | इंद्रप्रस्थ में एकाकी |
</Poem> | </Poem> |
12:51, 8 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
सुनो,
राम जी !
आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ,
कड़कती हैं बिजलियाँ
मेरा भी मन डरता है
ठीक तुम्हारी तरह
प्रिया से दूर हूँ मैं
इंद्रप्रस्थ में एकाकी