भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वह जो / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=क्षमायाचना / लीलाधर मंडल...)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
 
वह जो हँस रही है
 
वह जो हँस रही है
ऎन चौराहे प्पे
+
ऎन चौराहे पे
 
लोक-लाज से परे
 
लोक-लाज से परे
  

03:45, 16 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

वह जो हँस रही है
ऎन चौराहे पे
लोक-लाज से परे

कल तक उसके स्वर
गूँजते थे
मंदिर की आरती में