भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कश्मीरी मुसलमान-1 / अग्निशेखर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्निशेखर | |संग्रह=मुझसे छीन ली गई मेरी नदी / अग्निशेखर | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<Poem> | <Poem> | ||
कितना भीग जाता है मेरा मन | कितना भीग जाता है मेरा मन |
23:37, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
कितना भीग जाता है मेरा मन
खुली-खुली पलकों से आकर
टकराता है घर
मेरा देश
पूरा परिवेश
खुलती हैं घुमावदार गलियाँ
उनमें खेलने लग पड़ता है बचपन
बतियाती हैं पड़ोस की अधेड़ महिलाएँ
मज़हब से परे होकर
एक बूंद आँसू से धुल जाती हैं
शिकायतें
जलावतनी में जब देखता हूँ
किसी भी कश्मीरी मुसलमान को