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"गुस्सैल औरत सोचती है / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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धूप सने दिन से जूझकर | धूप सने दिन से जूझकर |
22:15, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
धूप सने दिन से जूझकर
घर लौटते हुए
वह गुस्सैल औरत
सोचती है-
आज नहीं करूंगी लापरवाही
पहुँचते ही घर
धोकर पाँव
नर्म कपड़े से सुखाऊँगी
आज तो ज़रूर....
आज तो ज़रूर
शांत रहूंगी
चाहे कितना कुछ बिखरा हो
आदमी से अपशब्द नहीं कहूँगी
धोड़ी देर चाहे
पर बच्चों से बतियाऊंगी
उनकी मन पसंद
भाजी बनाऊंगी