"रघुबर बाल छबि कहौं बरनि / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=तुलसीदास | |रचनाकार=तुलसीदास | ||
+ | |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | [[Category:लम्बी रचना]] | ||
+ | {{KKPageNavigation | ||
+ | |पीछे=आँगन फिरत घुटुरुवनि धाए / तुलसीदास | ||
+ | |आगे=भूमितल भूपके बड़े भाग / तुलसीदास | ||
+ | |सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 3 | ||
}} | }} | ||
<poem> | <poem> |
09:34, 26 मई 2011 के समय का अवतरण
राग केदारा
रघुबर बाल छबि कहौं बरनि |
सकल सुखकी सींव, कोटि-मनोज-सोभाहरनि ||
बसी मानहु चरन-कमलनि अरुनता तजि तरनि |
रुचिर नूपुर किङ्किनी मन हरति रुनझुनु करनि ||
मञ्जु मेचक मृदुल तनु अनुहरति भूषन भरनि |
जनु सुभग सिङ्गार सिसु तरु फर्यो है अदभुत फरनि ||
भुजनि भुजग, सरोज नयननि, बदन बिधु जित्यो लरनि |
रहे कुहरनि सलिल, नभ, उपमा अपर दुरि डरनि ||
लसत कर-प्रतिबिम्ब मनि-आँगन घुटुरुवनि चरनि |
जनु जलज-सम्पुट सुछबि भरि-भरि धरति उर धरनि ||
पुन्यफल अनुभवति सुतहि बिलोकि दसरथ-घरनि |
बसति तुलसी-हृदय प्रभु-किलकनि ललित लरखरनि ||
नेकु बिलोकि धौं रघुबरनि |
चारु फल त्रिपुरारि तोको दिये कर नृप-घरनि ||
बाल भूषन बसन, तन सुन्दर रुचिर रजभरनि |
परसपर खेलनि अजिर, उठि चलनि, गिरि गिरि परनि ||
झुकनि, झाँकनि, छाँह सों किलकनि, नटनि हठि लरनि |
तोतरी बोलनि, बिलोकनि, मोहनी मनहरनि ||
सखि-बचन सुनि कौसिला लखि सुढर पासे ढरनि |
लेति भरि भरि अंक सैन्तति पैन्त जनु दुहु करनि ||
चरित निरखत बिबुध तुलसी ओट दै जलधरनि |
चहत सुर सुरपति भयो सुरपति भये चहै तरनि ||