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"चहत महामुनि जाग जयो / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर

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करत मनोरथ जात पुलकि, प्रगटत आनन्द नयो |
 
करत मनोरथ जात पुलकि, प्रगटत आनन्द नयो |
 
तुलसी प्रभु-अनुराग उमगि मग मङ्गल मूल भयो ||
 
तुलसी प्रभु-अनुराग उमगि मग मङ्गल मूल भयो ||
 
आजु सकल सुकृत फलु पाइहौं |
 
सुखकी सींव, अवधि आनँदकी अवध बिलोकि हौं पाइहौं ||
 
सुतनि सहित दसरथहि देखिहौं, प्रेम पुलकि उर लाइहौं |
 
रामचन्द्र-मुखचन्द्र-सुधा-छबि  नयन-चकोरनि प्याइहौं ||
 
सादर समाचार नृप बुझिहैं, हौं सब कथा सुनाइहौं |
 
तुलसी ह्वै कृतकृत्य आश्रमहिं राम लषन लै आइहौं ||
 
 
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20:55, 27 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

राग सारङ्ग

चहत महामुनि जाग जयो |
नीच निसाचर देत दुसह दुख, कृस तनु ताप तयो ||
सापे पाप, नये निदरत खल, तब यह मन्त्र ठयो |
बिप्र-साधु-सुर-धेनु-धरनि-हित हरि अवतार लयो ||
सुमिरत श्रीसारङ्गपानि छनमें सब सोच गयो |
चले मुदित कौसिक कोसलपुर, सगुननि साथ दयो ||
करत मनोरथ जात पुलकि, प्रगटत आनन्द नयो |
तुलसी प्रभु-अनुराग उमगि मग मङ्गल मूल भयो ||