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"बच्चे एक दिन / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर

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एक दिन निकलेंगे  
 
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अपनी धुन में,  
 
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अधखाये फलों और  
 
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रकम-रकम के पत्थरों की तरह  
 
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(रचनाकालः1986)
 
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18:12, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बच्चे
अंतरिक्ष में
एक दिन निकलेंगे
अपनी धुन में,
और बीनकर ले आयेंगे
अधखाये फलों और
रकम-रकम के पत्थरों की तरह
कुछ तारों को ।

आकाश को पुरानी चांदनी की तरह
अपने कंधों पर ढोकर
अपने खेल के लिए
उठा ले आयेंगे बच्चे
एक दिन ।

बच्चे एक दिन यमलोक पर धावा बोलेंगे
और छुड़ा ले आयेंगे
सब पुरखों को
वापस पृथ्वी पर,
और फिर आँखें फाड़े
विस्मय से सुनते रहेंगे
एक अनन्त कहानी
सदियों तक ।

बच्चे एक दिन......

(रचनाकालः1986)