भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बारिश / केशव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | |||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |||
|रचनाकार=केशव | |रचनाकार=केशव | ||
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव | |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKAnthologyVarsha}} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
भला हो | भला हो |
18:56, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण
भला हो
इस बारिश का
जिसने धरती को दिये पेड़
नदी को एक नाव
और मुझे फसल
पर उसका क्या
जिसने धरती को दी एक कुर्सी
और कुर्सी ने छोड़ दिए
फसल को चट कर जाने वाले कीड़े
और नाव में छेद कर
उसे कर दिया नदी के हवाले
प्रकृति सब कुछ देती है
पर कुर्सी उस सब को
दर्ज कर लेती है
अपने बही-खातों में।