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लौटती हुई रचनाएँ
 
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किसे होता है खेद
 
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संपादक को
 
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कवि को?
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शहडोल के शर्मा जी को
 
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परीक्षाओं के कुंजीकारों को
 
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नई सड़क की भीड़ को
 
नई सड़क की भीड़ को
 
 
किसी अधूरे
 
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बड़बड़ाए वाक्य को
 
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किसे होता है खेद इस चुप्पी में
 
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मुझे कोई खेद नहीं
 
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उन्हें भी कोई खेद नहीं
 
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फिर यह पावती किसके लिए
 
फिर यह पावती किसके लिए
  
 
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'''रचनाकाल: 9.2.2006
 
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9.2.2006
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17:48, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

लौटती हुई रचनाएँ
किसे होता है खेद
संपादक को
कवि को?
शहडोल के शर्मा जी को
परीक्षाओं के कुंजीकारों को
नई सड़क की भीड़ को
किसी अधूरे
बड़बड़ाए वाक्य को
किसे होता है खेद इस चुप्पी में

मुझे कोई खेद नहीं
उन्हें भी कोई खेद नहीं
फिर यह पावती किसके लिए

रचनाकाल: 9.2.2006