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"विरह के दो रंग / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर

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(कोई अंतर नहीं)

20:43, 24 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

 
सितारों के बीच में
तन्हा चाँद
और भी उदास कर जाता है
तब शिद्दत से होता है
एहसास ..
कि
विरह का यह रंग
सिर्फ़ मेरे लिए नहीं है ...

सही- ग़लत की उलझन में
बीता जीवन का मधुर पल,
टूटा न जाने कब कैसे
कसमों,जन्मों का वह नाता
साथ है तो ..दोनों तरफ़
अब सिर्फ़ तन्हाई
जवाब दे ज़िंदगी
तू इतनी बेदर्द क्यों है ?..