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"बाज़ार खुल रहा है / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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पटरी पर सोये हुए
 
पटरी पर सोये हुए

22:22, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पटरी पर सोये हुए
गठरीनुमा आदमी में हरकत हुई
उसने उठकर जम्हाई ली
कथरी समेटी
और भुतहा चाल से खिसकते हुए
पहले माले के साथ-साथ
मुड़ ग़या

कचरा बुहारने वाली गुस्सैल तारो
नगर के नरक का एक ढेर
पालिका की गाड़ी में ठोंस
बगल की गली में ओझल हो गई

बंद दुकानों के शटर
खटर-पटर ख़ुलने लगे
काकू मुनियार ने
छिट-पुट सामान
बढ़े हुए छज्जे की कुण्डियों में
टाँगना शुरू कर दिया

बब्बू हलवाई की कढ़ाही में
फूलती पूरियाँ लहराने लगीं
बीरू कसाई का पटरा
सुबह की धूप में
बखूबी धुलने लगा
बाज़ार खुलने लगा