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"सर झुकओगे तो पत्थर / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=बशीर बद्र | |रचनाकार=बशीर बद्र | ||
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सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा । | सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा । | ||
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हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, | हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, | ||
− | जिस तरफ़ भी चल | + | जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा । |
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया, | कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया, | ||
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा । | तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा । | ||
− | मैं | + | मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो, |
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा । | ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा । | ||
− | सब उसी के हैं, हवा, | + | सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ, |
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा । | मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा । | ||
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+ | रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर. | ||
+ | क्या खबर थी मुझसे वो इतना खफा हो जायेगा. | ||
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14:57, 14 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।
मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर.
क्या खबर थी मुझसे वो इतना खफा हो जायेगा.