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ऊसर (कविता) / अजित कुमार
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15:30, 1 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अजित कुमार
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
'चलो, बाबा, चलते हैं मेले में।'
सुनकर अगर मैं न हँस पड़ता,
भला और क्या करता!
</poem>
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