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"उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब / राहत इन्दौरी" के अवतरणों में अंतर

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उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
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उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब
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चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब
  
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे रूठे हैं
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जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब
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चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब
  
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहां अब पहले जैसी है
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मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब
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फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब
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आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
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कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
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00:58, 13 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब

जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब

मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब

आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब