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|रचनाकार=अंशु मालवीय
|संग्रह=दक्खिन टोला / अंशु मालवीय
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मणिपुर-जुलाई 2004, सेना ने मनोरमा नाम की महिला के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी। मनोरमा के लिए न्याय की मांग करती महिलाओं ने निर्वस्त्र हो प्रदर्शन किया। उस प्रदर्शन की हिस्सेदारी के लिए यह कविता
 
 
देखो हमें
बिल्कुल नंगी.......
हम मांस के थरथराते झंडे हें
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