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"वंदना / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | कोटि कण्ठों में तुम्हारी | + | कोटि कण्ठों में तुम्हारी |
− | वेदना कैसे बजाऊँ? | + | वेदना कैसे बजाऊँ? |
− | फिर, न कसकें क्रूर कड़ियाँ, | + | फिर, न कसकें क्रूर कड़ियाँ, |
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− | धूलि लुiण्ठत हो न अलकें, | + | धूलि लुiण्ठत हो न अलकें, |
− | खिलें पा नवज्योति पलकें, | + | खिलें पा नवज्योति पलकें, |
− | दुर्दिनों में भाग्य की | + | दुर्दिनों में भाग्य की |
− | मधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँ? | + | मधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँ? |
− | तुम उठो माँ! पा नवल बल, | + | तुम उठो माँ! पा नवल बल, |
− | दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल! | + | दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल! |
− | इस निबिड़ नीरव निशा में | + | इस निबिड़ नीरव निशा में |
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10:05, 17 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
वंदिनी तव वंदना में
कौन सा मैं गीत गाऊँ?
स्वर उठे मेरा गगन पर,
बने गुंजित ध्वनित मन पर,
कोटि कण्ठों में तुम्हारी
वेदना कैसे बजाऊँ?
फिर, न कसकें क्रूर कड़ियाँ,
बनें शीतल जलन–घड़ियाँ,
प्राण का चन्दन तुम्हारे
किस चरण तल पर लगाऊँ?
धूलि लुiण्ठत हो न अलकें,
खिलें पा नवज्योति पलकें,
दुर्दिनों में भाग्य की
मधु चंद्रिका कैसे खिलाऊँ?
तुम उठो माँ! पा नवल बल,
दीप्त हो फिर भाल उज्ज्वल!
इस निबिड़ नीरव निशा में
किस उषा की रश्मि लाऊँ?
वन्दिनी तव वन्दना में
कौन सा मैं गीत गाऊँ?