भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"किसान / श्रीप्रकाश शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रकाश शुक्ल }} <poem> न उसका कोई रूप है न उसकी को...) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=श्रीप्रकाश शुक्ल | |रचनाकार=श्रीप्रकाश शुक्ल | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
न उसका कोई रूप है | न उसका कोई रूप है |
10:10, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
न उसका कोई रूप है
न उसकी कोई जाति
न उसका कोई घर है
न उसकी कोई पाति
आकाश उसकी छत है
मौसम उसका आभूषण
हत्या उसका बचपन है
आत्महत्या उसकी जवानी
जिसे आप बुढ़ापा कहते हैं
वह है उसकी आज़ादी
जिसे ढहने के पहले
उसने सुरक्षित कर लिया है
धरती के नीचे
अपने रकबे में।
रचनाकाल : 12.01.2008