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रिश्ते सब टूट गए
 
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खून के,
 
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दूध के
 
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और परस्पर झूठे पानी के।
 
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ठेके ही बाकी हैं
 
ठेके ही बाकी हैं
 
 
कुर्सी के,
 
कुर्सी के,
 
 
धर्म के,
 
धर्म के,
 
 
माफिया गिरोहों के।।
 
माफिया गिरोहों के।।
 
 
 
 
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20:10, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

रिश्ते सब टूट गए
खून के,
दूध के
और परस्पर झूठे पानी के।

ठेके ही बाकी हैं
कुर्सी के,
धर्म के,
माफिया गिरोहों के।।