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कविता जगत मैं अगीत विधा का आजकल काफ़ी प्रचलन है .। यह विधा १९६६ से डा रन्ग नाथ मिश्र द्वारा प्रच्लित की गयी है।  अगीत एक छोटा अतुकान्त गीत -रचना है, ५ से ८ पन्क्तियों की. यथा-  
 
कविता जगत मैं अगीत विधा का आजकल काफ़ी प्रचलन है .। यह विधा १९६६ से डा रन्ग नाथ मिश्र द्वारा प्रच्लित की गयी है।  अगीत एक छोटा अतुकान्त गीत -रचना है, ५ से ८ पन्क्तियों की. यथा-  
  
  चोरों ने सन्गठन बनाये ,
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चालें चल हरिश्चन्द्र हटाये,
 
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सत्ता मैं आये ,इठलाये,
 
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मिल कर चोर- चोर चिल्लाये,
 
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जनता सिर धुनकर पछताये।
 
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अब तक  इस विधा की बहुत सी काव्य क्रितियां प्रकाशित होचुकीं हैं। अब श्री जगत नारायन पांडे  व
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डा  श्याम गुप्त द्वारा अगीत महाकाव्य,खन्ड काव्य लिखे गये हैं।--
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-सौमित्र गुणाकर  ( श्री ज.ना. पान्डे--श्री लक्छ्मण जी के चरित्र चित्रण पर)
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६ .त्रिपदा अगीत --तीन पन्क्तियां,१६ मात्रा निश्चित ,लय,गति ,तुकान्त बन्धन नहीं
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७,त्रिपदा अगीत गज़ल --त्रिपदा अगीत की मालिका,प्रथम छन्द की तीनों पन्क्तियों मैं वही अन्त्यानुप्रास,अन्य मैं अन्तिम पन्क्ति मैं वही शब्द आव्रत्ति  ।
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आदरणीय भाई श्याम गुप्त जी!
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क्या आप इस बारे में हमें विस्तृत जानकारी भेज सकते हैं? कविता-कोश के ई० मेल सम्पर्क के पते पर। ई० मेल का पता आपको कविता कोश के मुखपृष्ठ पर मिल जाएगा। या
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aniljanvijay AT gmail DOT com पर भी आप अगीत विधा और उसके कवियों के सम्बन्ध में लिखकर भेज देंगे तो हम इस विषय में आपसे चर्चा कर पाएंगे।
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अनिल जनविजय
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कविता कोश

23:01, 27 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

कविता जगत मैं अगीत विधा का आजकल काफ़ी प्रचलन है .। यह विधा १९६६ से डा रन्ग नाथ मिश्र द्वारा प्रच्लित की गयी है। अगीत एक छोटा अतुकान्त गीत -रचना है, ५ से ८ पन्क्तियों की. यथा-

चोरों ने सन्गठन बनाये , चालें चल हरिश्चन्द्र हटाये, सत्ता मैं आये ,इठलाये, मिल कर चोर- चोर चिल्लाये, जनता सिर धुनकर पछताये।

अब तक इस विधा की बहुत सी काव्य क्रितियां प्रकाशित होचुकीं हैं। अब श्री जगत नारायन पांडे व डा श्याम गुप्त द्वारा अगीत महाकाव्य,खन्ड काव्य लिखे गये हैं।--

महाकाव्य--

-सौमित्र गुणाकर ( श्री ज.ना. पान्डे--श्री लक्छ्मण जी के चरित्र चित्रण पर) - स्र ष्टि (ईषत इच्छा या बिगबैन्ग-एक अनुत्तरित उत्तर)-डा श्याम गुप्त

खन्ड काव्य-

-मोह और पश्चाताप( ज.ना. पान्डे- राम कथा ) -शूर्पनखा (डा श्याम गुप्त)

आज इस विधा  मैं सात प्रकार के छन्द प्रयोग होरहे हैं--

१.अगीत छन्द -अतुकान्त ,५ से ८ पन्क्तियां

२. लयबद्ध अगीत--अतुकान्त,५ से १० पन्क्तियां,लय व गति युक्त

३ .गतिबद्ध सप्त पदी अगीत -सात पन्क्तियां, अतुकान्त ,गतिमयता

४ .लयबद्ध षट्पदी अगीत-छ्ह पन्क्तियां,१६ मात्रा प्रत्येक मैं निश्चित ,लय्बद्धता

५.नव अगीत -अतुकान्त ,३ से ५ तक पन्क्तियां,

६ .त्रिपदा अगीत --तीन पन्क्तियां,१६ मात्रा निश्चित ,लय,गति ,तुकान्त बन्धन नहीं

७,त्रिपदा अगीत गज़ल --त्रिपदा अगीत की मालिका,प्रथम छन्द की तीनों पन्क्तियों मैं वही अन्त्यानुप्रास,अन्य मैं अन्तिम पन्क्ति मैं वही शब्द आव्रत्ति ।

०० आदरणीय भाई श्याम गुप्त जी!

क्या आप इस बारे में हमें विस्तृत जानकारी भेज सकते हैं? कविता-कोश के ई० मेल सम्पर्क के पते पर। ई० मेल का पता आपको कविता कोश के मुखपृष्ठ पर मिल जाएगा। या

aniljanvijay AT gmail DOT com पर भी आप अगीत विधा और उसके कवियों के सम्बन्ध में लिखकर भेज देंगे तो हम इस विषय में आपसे चर्चा कर पाएंगे।

सादर

अनिल जनविजय

सम्पादक

कविता कोश