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"एलबम / विजयशंकर चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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यह अचकचाई हुई तस्वीर है मेरे माता-पिता की
 
यह अचकचाई हुई तस्वीर है मेरे माता-पिता की
किस्सा है कि इसे देख दादा बिगड़े थे बहुत
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क़िस्सा है कि इसे देख दादा बिगड़े थे बहुत
 
यह रही मेरी झुर्रीदार नानी मुझे गोद में लिए
 
यह रही मेरी झुर्रीदार नानी मुझे गोद में लिए
 
खेल रहा हूँ मैं नानी के चेहरे की परतों से
 
खेल रहा हूँ मैं नानी के चेहरे की परतों से
फौजी वर्दी में यह नाना हैं मेरे
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फ़ौजी वर्दी में यह नाना हैं मेरे
 
इनके पास खड़ी यह बच्ची माँ है मेरी
 
इनके पास खड़ी यह बच्ची माँ है मेरी
फिर मैं हूँ माँ की उँगली थामे स्कूल जाता
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फिर मैं हूँ माँ की उँगली थामे स्कूल जाता
  
 
एक धुँधली तस्वीर है बचपन के साथी की
 
एक धुँधली तस्वीर है बचपन के साथी की
साँप काटने से जब मरा बहुत छोटा था
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साँप काटने से जब मरा बहुत छोटा था
  
 
खिड़की पर यह दुबली लड़की बहन है मेरी
 
खिड़की पर यह दुबली लड़की बहन है मेरी
दिखती है फोटो में जाने किसकी राह देखती
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दिखती है फ़ोटो में जाने किसकी राह देखती
  
 
यह मैं हूँ और पत्नी उदास घूँघट में
 
यह मैं हूँ और पत्नी उदास घूँघट में
 
ठीक बाद में यह है उसका बढ़ा हुआ पेट
 
ठीक बाद में यह है उसका बढ़ा हुआ पेट
फिर तीन-चार तस्वीरें हैं हमारे बाल-बच्चों की।
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फिर तीन-चार तस्वीरें हैं हमारे बाल-बच्चों की ।
  
ऐसी भी हैं कुछ तस्वीरें
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कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं  
 
जिन्हें देखने की दिलचस्पी अब किसी में नहीं बची
 
जिन्हें देखने की दिलचस्पी अब किसी में नहीं बची
ये सब साथ-साथ पढ़ने-लिखने वाले लड़के थे।
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ये सब साथ-साथ पढ़ने-लिखने वाले लड़के थे ।
  
आखिर में तस्वीर लगी है एक बहुत बूढ़े बाबा की
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आख़िर में तस्वीर लगी है एक बहुत बूढ़े बाबा की
 
कान के पीछे हाथ लगाए आहट लेने की मुद्रा में
 
कान के पीछे हाथ लगाए आहट लेने की मुद्रा में
यह बाबा नागार्जुन है।
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यह बाबा नागार्जुन है ।
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19:01, 24 नवम्बर 2018 के समय का अवतरण

यह अचकचाई हुई तस्वीर है मेरे माता-पिता की
क़िस्सा है कि इसे देख दादा बिगड़े थे बहुत
यह रही मेरी झुर्रीदार नानी मुझे गोद में लिए
खेल रहा हूँ मैं नानी के चेहरे की परतों से
फ़ौजी वर्दी में यह नाना हैं मेरे
इनके पास खड़ी यह बच्ची माँ है मेरी
फिर मैं हूँ माँ की उँगली थामे स्कूल जाता ।

एक धुँधली तस्वीर है बचपन के साथी की
साँप काटने से जब मरा बहुत छोटा था ।

खिड़की पर यह दुबली लड़की बहन है मेरी
दिखती है फ़ोटो में जाने किसकी राह देखती ।

यह मैं हूँ और पत्नी उदास घूँघट में
ठीक बाद में यह है उसका बढ़ा हुआ पेट
फिर तीन-चार तस्वीरें हैं हमारे बाल-बच्चों की ।

कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं
जिन्हें देखने की दिलचस्पी अब किसी में नहीं बची
ये सब साथ-साथ पढ़ने-लिखने वाले लड़के थे ।

आख़िर में तस्वीर लगी है एक बहुत बूढ़े बाबा की
कान के पीछे हाथ लगाए आहट लेने की मुद्रा में
यह बाबा नागार्जुन है ।