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हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं<br />
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बयस बावरी मुँहु बिदुराबै<br />
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को गीता कौ बाँचै <br/>
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चिड़िया चाहै पंख पसार<br />
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उड़िबो दूरि गगन के पार<br />

08:54, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: आत्मप्रकाश शुक्ल

नाचइ नदिया बीच हिलोर
वनमां नचइ बसंती मोर
लागै सोरहों बसंत को
सिंगारु गोरिया।
सूधे परैं न पाँव
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं
बयस बावरी मुँहु बिदुराबै
को गीता कौ बाँचै
चिड़िया चाहै पंख पसार
उड़िबो दूरि गगन के पार