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"अन्तरंग / श्यामनन्दन किशोर" के अवतरणों में अंतर
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− | दो चार बढ़ाते आलोचक | + | दो चार बढ़ाते आलोचक |
− | दो चार बनाते | + | दो चार बनाते समाचार। |
− | ये तिरस्कार ये पुरस्कार | + | ये तिरस्कार ये पुरस्कार |
− | दोनों ही माता की पुकार | + | दोनों ही माता की पुकार |
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− | माँ की वीणा का तार- | + | माँ की वीणा का तार-तार। |
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14:10, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
ये तिरस्कार, ये पुरस्कार
दोनों ही माता के दुलार।
दोनों मिलते हैं अकस्मात
दोनों लाते हैं अश्रुपात
दोनों में साँसों का चढ़ाव
दोनों में साँसों का उतार।
ये तिरस्कार मरू की ज्वाला
जो रचती मेघ-खण्ड-माला
ये तिरस्कार तीव्रानुभूति
रचती ज्वलन्त साहित्यकार।
ये पुरस्कार कण्टकाकीर्ण
साधना बनाते ज़रा-जीर्ण
दो चार बढ़ाते आलोचक
दो चार बनाते समाचार।
ये तिरस्कार ये पुरस्कार
दोनों ही माता की पुकार
दोनों में झंकृत होता है
माँ की वीणा का तार-तार।