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"घूस माहात्म्य / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार
 
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ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार
 
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार
 
 
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी
 
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी
 
 
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी
 
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी
 
 
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा
 
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा
 
 
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा
 
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा
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00:22, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा