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"वतन के लिये / कैफ़ी आज़मी" के अवतरणों में अंतर
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− | पहले कब आया हूँ कुछ याद नहीं | + | पहले कब आया हूँ कुछ याद नहीं |
− | लेकिन आया था क़सम खाता हूँ | + | लेकिन आया था क़सम खाता हूँ |
− | फूल तो फूल हैं काँटों पे तेरे | + | फूल तो फूल हैं काँटों पे तेरे |
− | अपने होंटों के निशाँ पाता हूँ | + | अपने होंटों के निशाँ पाता हूँ |
− | मेरे ख़्वाबों के वतन | + | मेरे ख़्वाबों के वतन |
− | चूम लेने दे मुझे हाथ अपने | + | चूम लेने दे मुझे हाथ अपने |
− | जिन से तोड़ी हैं कई ज़ंजीरे | + | जिन से तोड़ी हैं कई ज़ंजीरे |
− | तूने बदला है मशियत का मिज़ाज | + | तूने बदला है मशियत का मिज़ाज |
− | तूने लिखी हैं नई तक़दीरें | + | तूने लिखी हैं नई तक़दीरें |
− | इंक़लाबों के वतन | + | इंक़लाबों के वतन |
− | फूल के बाद नये फूल खिलें | + | फूल के बाद नये फूल खिलें |
− | कभी ख़ाली न हो दामन तेरा | + | कभी ख़ाली न हो दामन तेरा |
− | रोशनी रोशनी तेरी राहें | + | रोशनी रोशनी तेरी राहें |
− | चाँदनी चाँदनी आंगन तेरा | + | चाँदनी चाँदनी आंगन तेरा |
− | माहताबों के वतन< | + | माहताबों के वतन</poem> |
15:32, 4 मई 2024 के समय का अवतरण
यही तोहफ़ा है यही नज़राना
मैं जो आवारा नज़र लाया हूँ
रंग में तेरे मिलाने के लिये
क़तरा-ए-ख़ून-ए-जिगर लाया हूँ
ऐ गुलाबों के वतन
पहले कब आया हूँ कुछ याद नहीं
लेकिन आया था क़सम खाता हूँ
फूल तो फूल हैं काँटों पे तेरे
अपने होंटों के निशाँ पाता हूँ
मेरे ख़्वाबों के वतन
चूम लेने दे मुझे हाथ अपने
जिन से तोड़ी हैं कई ज़ंजीरे
तूने बदला है मशियत का मिज़ाज
तूने लिखी हैं नई तक़दीरें
इंक़लाबों के वतन
फूल के बाद नये फूल खिलें
कभी ख़ाली न हो दामन तेरा
रोशनी रोशनी तेरी राहें
चाँदनी चाँदनी आंगन तेरा
माहताबों के वतन