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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें <br>ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें <br><br>
सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें <br>दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें <br><br>
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से <br>रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें <br><br>
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है <br>अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें<br><br><br>
'''टिप्पणी:<br>'''इस गज़ल को शहरयार ने फ़िल्म "उमराव जान" के लिये लिखा था। फ़िल्म में नायिका उमराव जान एक शायरा भी हैं और उनका तख़ल्लुस "अदा" है।<br><br/poem>
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